Friday, June 20, 2008

कहीं मेरा हिस्सा तो नहीं मारा

कल मैं कनॉट प्लेस में घूम रहा था
शूट बूट पहने
एन ९२ हाथ में लिये
दोस्त से बतिया रहा था
तभी एक भीखमंगा सामने आ गया
मेरा रास्ता रोक कर खड़ा हो गया
मैंने बचने की बहुत कोशिश की
लेकिन जैसे वो मुझे दबोच लेना चाहता था
फिर मैं भी रुक गया
पूछा भाई क्या बात है
ऐसे रास्ता रोक क्यों खड़े
लगता है कुछ ठान कर आए हो
किसी जिद पर अड़े हो
जवाब में उसने कहा मुझे तुमसे कुछ नहीं चाहिये
बस एक सवाल का जवाब दे दो
तुम शूट बूट पहने हो
मैं फटे हाल हूं
तुम मोबाइल लिये हो
मेरे हाथ में कटोरा है
तुम्हारे पास गाड़ी है
मेरा पास चप्पल तक नहीं
मैं भी इंसान हूं
इसी देश का नागरिक हूं
तुम्हारी तरह मेरे भी कुछ अधिकार हैं
फिर मैं कंगाल तुम खुशहाल क्यों
सच सच बोलना
झूठ मत कहना
मुझे झूठ से नफरत है
कहीं तुमने मेरा हिस्सा तो नहीं मार लिया।

ये शांति काल है

जब युद्ध नहीं होते हैं
उसे शांति काल कहा जाता है
भारत में अभी शांति है
हर रोज क़त्ल की ख़बरें आती हैं
हर शहर में लड़की की चीख सुनी जाती है
दहेज की खातिर महिला मारी जाती है
चंद रुपयों के लिए बच्चा अगवा होता है
अख़बारों के पन्ने अपराधों से भरे जाते हैं
काले शब्दों में लाल खून के छींटे नज़र आते हैं
फिर भी भारत में शांति है
हर रोज लाखों बच्चे भूख से बिलबिलाते हैं
धीमे धीमे मौत की तरफ कदम बढ़ाते हैं
बिन दानों के आंतें धंसती जाती हैं
रोटी के नाम पर अंग खरीदे-बेचे जाते हैं
बेबस... मौत गले लगाते हैं
हर कोने से सिसकियां सुनाई देती हैं
फिर भी भारत में शांति है
काशी और अजमेर में बम फोड़े जाते हैं
बस्तर में नक्सली मारे जाते हैं
जम्मू कश्मीर में आतंकियों का डेरा है
उत्तर पूर्व में छिड़ा संग्राम घनेरा है
फिर भी भारत में शांति है
मैं इस शांत भारत का वाशिंदा हूं
और मुझे अपने भारत पर नाज है.