Saturday, August 2, 2008

भाग्य विधाता

वो भाग्य विधाता हैं मेरे और तुम्हारे
वो तय करते हैं मेरा और तुम्हारा भविष्य
मेरे और तुम्हारे पसीने की क़ीमत
मेरे और तुम्हारे लहू का मोल
एयरकंडिशन्ड दफ़्तर में बैठे
बिना एक बूंद पसीना बहाए

4 comments:

Nitish Raj said...

वाह समर क्या खूब दिया है,
सुंदर...अति उत्तम।।।।

Advocate Rashmi saurana said...

bhut sundar likha hai. jari rhe.

Vivekk singh Chauhan said...

bhut khub. ati uttam. likhte rhe.

Unknown said...

देख रहा हूं सुधार हो रहा है. अच्छा है लगे रहो.