संविधान...
चंद पन्नों पर दर्ज, चंद शब्द नहीं
बड़ी बारीक और गहरी साज़िश है
होती है हर रोज़ नाइंसाफ़ी
लाखों... करोड़ों इंसानों के साथ
संविधान की आड़ में
जी हां, इसी संविधान की आड़ में
मुझ पर और आप पर करते हैं राज
कुछ मुट्ठी भर अपराधी
कुछ क़ातिल, कुछ बलात्कारी
कुछ रिश्वतख़ोर, कुछ ४२०
और कुछ देशद्रोही
ये संविधान न मेरा है
ना ही तुम्हारा, ना हमारा
ये उनका है, उनके लिए
उनके द्वारा बनाया हुआ
इसी संविधान के जरिये
उन्होंने ली है मंज़ूरी धोखे से
हमसे... हम पर शासन के लिए
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14 years ago
4 comments:
ये संविधान न मेरा है
ना ही तुम्हारा, ना हमारा
ये उनका है, उनके लिए
उनके द्वारा बनाया हुआ
इसी संविधान के जरिये
उन्होंने ली है मंज़ूरी धोखे से
हमसे... हम पर शासन के लिए
बढ़िया-बढ़िया चिपकारिये हो...लगे रहो...
(पर सही जगह पर ',' ये जरूर दो)
सुंदर...अति उत्तम।।।।
बहुत बढिया व सही लिखा है-
ये संविधान न मेरा है
ना ही तुम्हारा, ना हमारा
ये उनका है, उनके लिए
उनके द्वारा बनाया हुआ
इसी संविधान के जरिये
उन्होंने ली है मंज़ूरी धोखे से
हमसे... हम पर शासन के लिए
आज की व्यवस्था के सम्बन्ध में बहुत कुछ सही लिखा है।
चलिये बदलें इस संविधान के संविधान को।
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