Wednesday, July 2, 2008

ज़िंदगी है ये लाल रंग

लाल रंग मुझे बहुत पसंद है
इसलिए कि
सुबह की पहली किरण हो
या शाम की आखिरी किरण
उगते और डूबते
दोनों ही मौकों पर सूरज का रंग
लाल होता है
ये लाल रंग मुझे बहुत पसंद है
इसलिए कि जब धरती आहत होती है
और उसकी गर्भ से लावा आंसू बनकर निकलता है
तो उसका रंग भी लाल होता है
इसलिए कि
जब कोई तारा फूटता है
तो ब्राम्हांड में विलीन होने से पहले
उसका रंग भी लाल होता है
इसलिए कि
लाल लपटों में
समाने के बाद ही इंसानी
जिस्म से आत्मा मुक्त होती है
इसलिए कि
इंसानी चमड़ी
भूरी हो या काली
या फिर सफेद
इस चमड़ी के भीतर रगों में बहने
वाला लहू लाल है
ये लाल रंग मुझे बहुत पसंद है
इसलिए कि
चाहे ग़म हो या खुशी
ये रंग मेरे बेहद करीब है
किसी और रंग से कहीं ज्यादा
किसी और रंग से कहीं गहरे।

5 comments:

jasvir saurana said...

बहुत सुंदर. लिखते रहे.

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया कहा।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari said...

बढ़िया अभिव्यक्ति. बधाई.

Unknown said...

अती सुदँर

Unknown said...

अती सुदँर