वो मेरे चुप रहने की वजह पूछते हैं
मेरी खामोशी को बुजदिली समझते हैं
कहते हैं मैं ना बोला तो
जमाना मांगेगा हिसाब
आज नहीं कल मेरे अपने भी
मुझसे मांगेंगे जवाब
लेकिन मैं तमाम उकसावों पर भी
कुछ ना बोलूंगा
ऐसा नहीं मेरे पास कहने को कुछ नहीं
कहने को बहुत कुछ होते हुए भी लब ना खोलूंगा
अभी लोगों के पास सुनने को वक़्त ही कहां है
लोग तो हिसाब चुकाने को बदहवास हैं
कुछ ज़िंदगी से, कुछ हालात से
कुछ दुश्मनों से, कुछ अपनों से
ये दौर पागलपन का दौर है
इस दौर में मैंने कुछ कहा तो
उसके मायने भी गलत निकाले जाएंगे
सच और झूठ की कसौटी पर नहीं
मेरे शब्द, राम और रहीम की कसौटी पर कसे जाएंगे
इसलिए अभी मैं खामोश ही रहूंगा
मेरी खामोशी को मौन समर्थन मत समझना
मेरी ये खामोशी, मेरा प्रतिरोध है और मेरा हथियार भी
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14 years ago
3 comments:
मेरी खामोशी को मौन समर्थन मत समझना
मेरी ये खामोशी, मेरा प्रतिरोध है और मेरा हथियार भी
--Behtarin..Umda!! Badhai.
्बहुत बढिया विचार कविता के माध्यम से प्रस्तुत किए हैं।बधाई।
बढ़िया
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