Tuesday, July 15, 2008

मेरी खामोशी मेरा हथियार है

वो मेरे चुप रहने की वजह पूछते हैं
मेरी खामोशी को बुजदिली समझते हैं
कहते हैं मैं ना बोला तो
जमाना मांगेगा हिसाब
आज नहीं कल मेरे अपने भी
मुझसे मांगेंगे जवाब
लेकिन मैं तमाम उकसावों पर भी
कुछ ना बोलूंगा
ऐसा नहीं मेरे पास कहने को कुछ नहीं
कहने को बहुत कुछ होते हुए भी लब ना खोलूंगा
अभी लोगों के पास सुनने को वक़्त ही कहां है
लोग तो हिसाब चुकाने को बदहवास हैं
कुछ ज़िंदगी से, कुछ हालात से
कुछ दुश्मनों से, कुछ अपनों से
ये दौर पागलपन का दौर है
इस दौर में मैंने कुछ कहा तो
उसके मायने भी गलत निकाले जाएंगे
सच और झूठ की कसौटी पर नहीं
मेरे शब्द, राम और रहीम की कसौटी पर कसे जाएंगे
इसलिए अभी मैं खामोश ही रहूंगा
मेरी खामोशी को मौन समर्थन मत समझना
मेरी ये खामोशी, मेरा प्रतिरोध है और मेरा हथियार भी

3 comments:

Udan Tashtari said...

मेरी खामोशी को मौन समर्थन मत समझना
मेरी ये खामोशी, मेरा प्रतिरोध है और मेरा हथियार भी

--Behtarin..Umda!! Badhai.

परमजीत सिहँ बाली said...

्बहुत बढिया विचार कविता के माध्यम से प्रस्तुत किए हैं।बधाई।

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

बढ़िया